donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Mehr Lal Soni Zia Fatehabadi
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* शब ए ग़म है मेरी तारीक बहुत | *
शब ए ग़म है मेरी तारीक बहुत |
हो न हो सुबह है नज़दीक बहुत |

उन से मैं दूर हुआ ख़ूब हुआ 
आ गए वो मेरे नज़दीक बहुत |

ग़म ए जानाँ मेरे दिल से न गया 
की ग़म ए दहर ने तहरीक बहुत |

मिल गई मर के हयात ए जावेद 
तेरे बीमार हुए ठीक बहुत |

कम से कम हुस्न की रुसवाई में
थी ग़म ए इश्क़ की तज़हीक बहुत |

रहनवरदान ए जुनूँ बैठ गए 
मंज़िल ए शौक़ थी नज़दीक बहुत |
 
ऐ " ज़िया " हम को दर ए साक़ी से 
कम सही फिर भी मिली भीक बहुत |
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 311