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* गुजरती है बशर की जिंदगी किन-किन खय *
गुजरती है बशर की जिंदगी किन-किन खयालों में,
जो ऐसा हो तो वैसा हो, जो वैसा हो तो ऐसा हो।
1.बशर - मनुष्य
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बैठे हुए देते हैं वह दामन से हवाएँ,
अल्लाह करे, हम न कभी होश में आयें
बेखुद यूँ ही रखेंगी हमें शोख अदायें
जब सामने हों आप तो क्या होश में आयें।
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मुझसे मिलना और आप का मिलना,दिन यह किसको नसीब होते है,
वह बड़े खुशनसीब होते हैं, आप जिनके हबीब होते हैं
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आप हों, मय हो, खल्वत हो, दिन ये किसको नसीब होते है।
जुल्म करते हैं और मुकरते हैं, ये हसीं भी अजीब होते हैं।
1.मय - शराब, मदिरा 2.खल्वत - एकान्त
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