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Qateel Shifai
 
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* यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फ़ा हो  *
यों लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना 
जिस तरह फूल से ख़ुश्बू का जुदा हो जाना

अहल-ए-दिल से ये तेरा तर्क-ए-त'अल्लुक़ 
वक़्त से पहले असीरों का रिहा हो जाना 

यों अगर हो तो जहाँ में कोई काफ़िर न रहे 
मो'अजुज़ा तेरे वादे का वफ़ा हो जाना 

ज़िन्दगी मैं भी चलूँगा तेरे पीछे-पीछे 
तू मेरे दोस्त का नक़्श-ए-कफ़-ए-पा हो जाना 

जाने वो कौन सी कैफ़ियत-ए-ग़मख़्वारी है 
मेरे पीते ही "क़तील" उसको नशा हो जाना 
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