* खुश रहना सिखा दो ना *
ग़ज़ल
खुश रहना सिखा दो ना
हर ग़म को भुला दो ना
जो याद रहे बरसों
तुम ऐसी सज़ा दो ना
क्यूँ कुछ भी नहीं कहते
क्या दुःख है बता दो ना
फूलों ने रुलाया है ..
काँटों का पता दो ना
मरना तो हुआ मुश्किल
जीना ही सिखा दो ना
ताबीर भी दिलकश को
वो ख़्वाब दिखा दो ना
दुनिया में मिले इज्ज़त
'रखशाँ' को दुआ दो ना
******* |