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Ramesh Kanwal
 
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* सावन आया, तुम नहीं आये, नैन बन गये सा *
सावन  आया,  तुम नहीं आये, नैन बन गये सावन सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन


नील  गगन  के उजले  काले मेघों की ये आंख मिचोली
मूक   किनारे  से  गंगा की  लहरों की ये पे्रम-ठिठोली
आह! अभी तक अष्कों की रिमझिम से तर है मेरा दामन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन



फ़र्ज  करे  मजबूर  मुझे कि ख़्ाुषियों की बारात फिरा दूं
और मुहब्बत तड़प तड़प क़र कहे यार संग प्रीत निभा दूं
दोनों  की  खींचातानी  में  टूट  न  जाये जीवन दरपन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन



सूख  गर्इ  धरती,  अंबर  पे  सावन  तिष्नालब भटके है
घाट  घाट पर  लहर-लहर  खुद  प्यास  लिये  सर  को  पटके  है
ऐसे  में गर तुम आ जाओ खुष हो जाये सबका तन-मन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन



देख  कि  सरहद  से भी अब तक चौराहों पे नैन बिछाये
राह  तुम्हारी  तका  करता हूं गली गली से आस लगाये
आ  जाओ  मेरी  बाहों  में  हो  जाये हर सांस सुहागन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
   आ न मिलो मुझसे अब सावन
 
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