* फूल को खुशबु, सितारों को गगन हासिल *
फूल को खुशबु, सितारों को गगन हासिल हो
सुबह को शाम से मिलने की लगन हासिल हो
अनसुने किस्सों को बेखौ़फ़ कथन हासिल हो
ग़म के अहसास को ग़ज़लों का सुख़न हासिल हो
आपस मिल के मुझे खुशियों का घर-बार मिले
आपके घर को भी लज़्ज़त का सहन हासिल हो
मेरी फुरकत में उदास आप कभी हों कि न हों
मेरी आंखों को जुदार्इ में चुभन हासिल हो
मुझको हासिल हो तेरी खुशबू, तेरे साथ सफ़र
और तुझको मेरी चाहत का चमन हासिल हो
तेरे दीदार की ठंडक मुझे गर्मी में मिले
सर्दियों में तेरे गालों की तपन हासिल हो
गुनगुनाता रहे रिमझिम के फुहारों में 'कंवल
बारिशों में तेरा भीगा सा बदन हासिल हो .
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