* बिखरी हुर्इ हयात1 से सिमटे लिबास थ *
बिखरी हुर्इ हयात1 से सिमटे लिबास थे
हम डूबती सदाओं2 के कुछ आस-पास थे .
आंखों में अपनी मंज़रे-सद-दस्ते-यास3 थे
हम मौसमे-बहार से यूं रूशनास4 थे .
आया न कोर्इ आशना5 चेहरा ही सामने
हम शहरे-ख़्वाबे-ज़ार6 में बेहद उदास थे .
रंगीन तितलियों ने लुभाया बहुत मगर
हम पानियों के शहर में टूटे गिलास थे .
फैली हुर्इ थी ख़्ाौफ़ की इक धुंद चार सू7
जंगल के जानवर भी बहुत बदहवास थे .
लम्हों की धूप छांव ने पहचान छीन ली
हम आइनों के गांव में इक देवदास थे। .
तुम वहम की गुफाओं में खो जाओगे 'कंवल
हमको भी सब कहेंगे कि निष्फल प्रयास थे। .
1. जीवन 2. आवाज 3. निराशा के जंगल के दृश्य 4. परिचित
5. परिचित-मित्र 6. निदि्रत नगर 7. चतुर्दिष
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