* लिबासे- जि़ंदादिली1 तार तार था कित *
लिबासे- जि़ंदादिली1 तार तार था कितना
गि़लाफ़े-ज़ीस्त2 में वह बेक़रार था कितना .
हसीन दर्द का सोलह सिंगार था कितना
मुझे हयात3 की रानी से प्यार था कितना .
फ़सीले-शब4 से इरादों के पांव रूक न सके
तुलू-ए-सुबह5 का मुझको खु़मार था कितना .
मै सुन रहा था दरे-दिल पे दस्तकें उसकी
विरह का वातावरण ख़्ा़ुशगवार था कितना .
मेरी तलाश में उसकी निगाहे-बेकस6 थी
वो पंख दे मुझे अश्कबार था कितना .
न रास आ सकी जिस्मों की दोपहर उसको
लबों की धूप में वो बेक़रार था कितना .
सफ़ीना7 सांसों का था मौत के भंवर में 'कंवल
किसी का फिर भी मुझे इंत़जार था कितना .
1. प्रसन्नचितता का वस्त्र 2. जीवन का परिधान 3. जीवन 4. रजनी की प्राचीर
5. प्रभात का उदय 6. मजबूर दृषिट 7. नौका।
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