* ग़म बिछड़ने का नयन सहने लगे *
ग़म बिछड़ने का नयन सहने लगे
खुशनुमा मंज़र ख़फ़ा रहने लगे .
जिस्म की मजबूरियां रौशन हुर्इं
दूरियों की ध्ूाप तन सहने लगे .
हौसलों के शहर बेमंज़र हुये
आस्थाओं के महल ढहने लगे .
मुझको भाती है गर्इ रूत की महक
उसको अच्छे ख़्वाब के गहने लगे
आ गया स्पर्श का मौसम 'कंवल
अनसुने किस्से बदन कहने लगे .
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