* वह जो लगता था पयम्बर इक दिन *
वह जो लगता था पयम्बर इक दिन
अपना ही भूल गया घर इक दिन .
कांच का घर उसे याद आयेगा
खूब पछतायेगा पत्थर इक दिन .
ढंड पंहुचायेगा, राहत देगा
रेत का गर्म ये बिस्तर इक दिन .
लाज रख लेगी तेरे जज़्बों की
मेरे अहसास की चादर इक दिन .
आतिशे-वक़्त में तपते तपते
हीरे बन जायेंगे कंकर इक दिन
लुत्फ़े-शोहरत2 मुझे दे जायेगा
तपते लफ़्जों3 का समुंदर इक दिन .
पाप जल जायेगा दुनिया का 'कंवल'
आंख जब खोलेगा शंकर इक दिन .
1. समय की अगिन, 2. ख्याति का हर्ष, 3. शब्दों ।
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