* रोज़ डूबे हुये सूरज को उगा देती है *
रोज़ डूबे हुये सूरज को उगा देती है
रात किस किस को अंघेरे मे सदा देती है .
वक़्त की घूप मुझे कैसी सज़ा देती है
आग हर ख़्वाब के जंगल में लगा देती है .
आबशारों1 से उभरती हुर्इ शादाब2 सदा3
दिल मे ग़ालीचा-ए-ख़्वाहिश4 को बिछा देती है .
तल्ख़5 सांसों के सफ़र की ही सज़ा है काफ़ी
जि़ंदगी क्यों मुझे अहसासे-ख़ला6 देती है
यूं तो जंगल में सिककती है हवा सदियों से
खुश्क शाखों़ को मगर रंग हरा देती है .
कड़वे हालात के गिर्दाब7 से हस्ती मेरी
लज़्ज़ते-साहिले-तिफ़्ली8 को सदा9 देती है .
तुझसे बिछुडे हुये अरसा हुआ पर जाने-कंवल
तेरी सौग़ात मुझे अब भी रूला देती है .
1. जल प्रपात 2. हरा भरा, सुसिक्त 3. èवनि, आवाज 4. अभिलाषा-आकांक्षा की कालीन
5. कड़वा कटु 6. रिक्तता की अनुभूति 7. भंवर 8. बचपन का आनन्द 9. èवनि, आवाज।
|