* झूमती हर सुबह की ख्ूा में नहार्इ श *
झूमती हर सुबह की ख्ूा में नहार्इ शाम है
फिर भी सर पर सुबह के ही क़त्ल का इल्जाम है .
क्या हुआ गलियों में मेरा इश्क़ जो बदनाम है
दर हक़ीक़त1 इश्क़ रूस्वार्इ2 का ही इक नाम है .
फिर सदा3 दी है मेरे माज़ी4 ने मुझको दफ़्अतन5
फिर मेरी सांसो में बरपा6 हश्र7 का कोहराम है .
लहर इक मिटते ही आ जाता है लहरों का हजूम
जिं़दगी शायद किसी तूफ़ाने-ग़म का नाम है .
फिर रहा हूं दर बदर ज़ख़्मों की चादर ओढ़कर
ये मेरे माहौल ने बख्शा मुझे इन आम है .
कितने अश्कों के दिये हम ने जलाये ऐ 'कंवल
उस हंसी के वास्ते जो आज तक गुमनाम है .
1. वास्तव में, 2. बदनामी 3. आवाज, 4. अतीत
5. अकस्मात, 6. उठा हुआ 7. प्रलय ।
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