* हर दम दिल के आंगन मे ली गम ने ही अंगड& *
हर दम दिल के आंगन मे ली गम ने ही अंगड़ार्इ
भूले से भी गूंज सकी न खुशियों की शहनार्इ .
रंग रंगीले दुनिया वालों की उफ़ रे नादानी
बनते है सब मन के बदले तन के ही शैदार्इ .
हुस्न को पूजा, चाहा , सराहा, हर दम इस दुनिया ने
किस युग मे इस इश्क को जग ने सूली नहीं चढ़ार्इ .
तन के काले बंदे नंगे फुट पाथों पर सोये
मन के काले लोगों को गददों पर नींद न आर्इ .
खुशियों के हंगामे तो चलते ही थक जाते हंै
साथ 'कंवल का देती है ग़म मे डूबी तन्हार्इ .
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