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Ramesh Kanwal
 
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* हर दम दिल के आंगन मे ली गम ने ही अंगड& *
हर दम दिल के आंगन मे ली गम ने ही अंगड़ार्इ    
भूले से भी गूंज सकी न खुशियों की शहनार्इ                   .                                                                 


रंग रंगीले दुनिया वालों की उफ़ रे नादानी                    
बनते है सब मन के बदले तन के ही शैदार्इ                      .                                                     


हुस्न  को  पूजा, चाहा ,  सराहा, हर दम इस दुनिया ने 
किस युग मे इस इश्क को जग ने सूली नहीं चढ़ार्इ                         .                                                                          


तन के काले बंदे नंगे फुट पाथों पर सोये                         
मन के काले लोगों को गददों पर नींद न आर्इ                      .                                                     


खुशियों के हंगामे तो चलते ही थक जाते हंै                           
साथ 'कंवल का देती है ग़म मे डूबी तन्हार्इ               . 
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