* दिल की दुनिया हो गर्इ जे़रो-ज़बर1 *
दिल की दुनिया हो गर्इ जे़रो-ज़बर1
जब भी याद तेरा तर्जे़-सफ़र2 .
वो सलामे-शौक़3 वो अफ़सुर्दगी4
वक़्ते-रूख़सत5 वो तेरी नीची नज़र .
ख़ारे-तिश्नालब6 की आंखों में चमक
आबला-पा मुझको बढ़ता देखकर .
इश्क़ ही के दम से दोनों की बहार
दश्ते-वहशत7 हो कि हो मजनूं का घर .
इश्क़ की तक़दीर में कुछ भी नहीं
शमअ़ को जलना है लेकिन ता-सहर8 .
इखि़तयार9 अपनी ही हस्ती10 पर नहीं
आ गर्इ है जिं़दगी किस मोड़ पर .
जब ढ़ले इफ़लास11 के सांचे में हम
फिर गर्इ हमसे ज़माने की ऩजर .
फूल बरसाये थे मैंने जिस जगह
है उसी वादी में ज़ख़्मी मेरा सर .
हंू 'कंवल मैं फूल इक मसला हुआ
बांटता हूं दहर12 को खु़शबू मगर .
1. अस्त-व्यस्त 2. यात्राा की शौली 3. आदर भरा प्रणाम
4. खिन्नता, उदासीनता 5. विदा के समय 6. पिपासित कांटे
7. पांव के छालों सहित त्रास का वन 8. प्रात: काल तक
9. नियंत्रण 10. असितत्व 11.निर्धनता 12. दुनिया ।
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