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Ramesh Kanwal
 
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* बांहो में समुन्दर के दरिया का सिमé *
बांहो में समुन्दर के दरिया का सिमट जाना                    
और  देख के ये मंज़र तेरा वो क़रीब आना            .                                                                     


ले ले के तेरा नाम अब कसते हंै सभी ताना                            
तुझ बिन मेरे जीवन का सूना है सनम खाना1                         .                                                  


घायल है हर इक ऩग्मा तुम रूठ गये जब से              
तुम से है मेरी ख़ुशियां क्यों तुमने नहीं जाना                     .                                                 


इमरोज़ के मंज़र पर सद नक़्श हैं माज़ी के                          
माज़ी से है कैफ़ आगी इमरोज़ का मयख़ाना2                      .                                              


मां बाप की खुशियां थीं राहों में 'कंवल अपनी                
वरना हमें आता था संसार से टकराना                        .

1 मंदिर 2. मदिरालय ।
 
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