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Ramesh Kanwal
 
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* अपने अपने कान बंधक रख दो, आंखें फोड *
अपने अपने कान बंधक रख दो, आंखें फोड़ लो                     
वक़्त के बेरहम मौसम से ही नाता जोड़ लो                                                                                                      

अपने होठों पर सजा लो बफऱ् की गहरी तहें                         
देशहित की भावना की धूप से मुंह मोड़ लो                            .                                        

इन दिनों जब बेचते फिरते हंै सब अपना ज़मीर1                                  
तुम भी बेेशर्मी के आगे हाथ अपने जोड़ लो                     .                                                 

टहनियों के दर्द से आगाह2 होना है फि़ज़ूल3            
अधखिली कलियां  दमकते  फूल  फ़ौरन  तोड़   लो                   

जिस्म की खुशबू सुगंधित आत्मायें ले उड़ीं              
उड़ते गिध अब तुम भी जि़ंदा शव से रिश्ता जोड़ लो          .                                                    


1. अन्तरात्मा 2. अवगत 3. व्यर्थ ।
 
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