* तुम हर पल इतना ख़ुश कैसे रह लेती हो ? *
कमसिन
तुम हर पल इतना ख़ुश कैसे रह लेती हो ?
हर पल हंसती
हर पल नटखट
हर पल चंचल
क्या तुमको दुनियां के ग़म मालूम नहीं ?
प्यार का ग़म
रोज़गार का ग़म
शोषण का ग़म
कोई अपना होने ना होने का ग़म ?
शायद अभी बहुत कमसिन हो ...
ख़ुदा करे तुमको ना कभी मालूम पड़ें दुनियां के ग़म
इक काम करो
गुम हो जाओ
इस वादी में ख़ुश्बू बनके खो जाओ
ख़ुदा करे तुम हर पल यूँ ही मस्त रहो
हर पल हंसती
हर पल नटखट
हर पल चंचल !
(विलियम वर्डस्वर्थ की 'Lucy Gray' के नाम
-सतीश बेदाग़
[-'एक चुटकी चाँदनी' से]
|