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Satish Bedaag
 
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* अमृता से एक दिन इमरोज़ ने आकर कहा- *
आमद
 
अमृता से एक दिन इमरोज़ ने आकर कहा-
मुझको किसी से प्यार है ...
अमृता ने पलकें खोलीं और झुकाईं और कहा-
 
'' प्यार तेरी तूलिका को और रंग दे जाएगा
तेरे रंगों को नए आयाम दे के जायेगा
तेरी कैनवस को नए मा'नी भी दे के जाएगा
 
'' प्यार अनादि काल से बहता हुआ स्त्रोत है
सारी रचना में है फैला एक नूर एक ज्योत है
प्यार दे आहंग पत्थर को व पवनों को पतंग
बहते पानी को रवानी और ठहरे को तरंग
एक धागा है जो कण-कण को पिरो रखता है संग
तेरा-मेरा प्यार भी पा जायेगा इक और रंग
 
'' पाएगा मौसम नया कविता में जो अवसाद है
इस नयी आमद को मेरे दोस्त आशीर्वाद है ''
 
( अमृता-इमरोज़ जी के शाशवत प्रेम को समर्पित)
-'एक चुटकी चाँदनी' से
 
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