* गुज़ारिश इतनी ही थी मेरे ख़ुदा हो *
ग़ज़ल
गुज़ारिश इतनी ही थी मेरे ख़ुदा हो जाओ
ये कब कहा था के यूँ मुझसे ख़फ़ा हो जाओ
वो भी हो जायेगा जिसकी तुम्हें उमीद नहीं
मगर ये शर्त है तुम मुझसे जुदा हो जाओ
हाँ हो गया है शुरू दर्द से भी रस मिलना
तक़ाज़ा बाक़ी नहीं अब कि दवा हो जाओ
जो लमहे हाथ में हैं खींच के लम्बे कर लो
जुदाई से जो कभी खौफ़ज़दा हो जाओ
जो मेरे दिल का हुआ हश्र बता देना उसे
किसी पे अबके अगर आप फ़िदा हो जाओ
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