* पता है ? तुम्हारे साथ मेरे साथ *
पता है ?
तुम्हारे साथ
मेरे साथ
कितने इत्तिफाक एक साथ हुए होंगे
तो ये सूरत बनी है
की हम एक साथ सांसें ले रहे हैं
की हम एक साथ हैं इस वक़्त दुनिया में
येही सबसे बड़ा रिश्ता है शायद मुझमे तुममे
मै ऐसा जानता हूँ
के इस रिश्ते से हर इन्सान
जो दुनिया में है
रिश्तेदार है मेरा
मगर इन रिश्तेदारों को नहीं मालूम मेरे
मै क्या लगता हूँ इनका
सो मै भी
तार्रुफ़ इस हवाले से कभी उनको नहीं देता
मेरी ख्वाहिश बस इतनी है
की मै जाने से पहले इस जहाँ से
ज्यादा से ज्यादा अपने लोगों को
नज़र भर देख लूँ बस
गले मिलना अगर मुमकिन न हो पाए
तो छूकर देख लूँ बस
समझ में आ गया अब ?
सहर से शाम तक मै किसलिए सड़कों पे फिरता हूँ
मै खिड़की से लगी एक सीट की खातिर सफ़र में
किसी बच्चे की सूरत क्यूँ झगड़ता हूँ ...... Shariq Kaifi
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