donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Talat Irfani
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* दिल कहाँ दरिया हुआ, दीवार कब साबित  *
दिल कहाँ दरिया हुआ, दीवार कब साबित हुआ,
प्यास आंखों में उतर आयी तो सब साबित हुआ

मैं तो मिट्टी हो गया उसके लहू की बूँद पर,
वो मेरी मिट्टी से यूँ उट्ठा के रब साबित हुआ

रात की बारिश ने धो डाले सभी के इश्तहार,
कौन कितने पानियों में है ये अब साबित हुआ

लोग फिर काले दिनों के नाम ख़त लिखने लगे
धुप से उनका तआल्लुक, बेसबब साबित हुआ

हम चुरा लाये थे माबद से ख़ुदा सुन कर जिसे
वो किसी टूटे हुए बुत का अक़ब साबित हुआ

रंग तक ला कर हुआ महफ़िल से ख़ुद ही मुनहरिफ़,
कौन तलअत- सा भी यारो ! बे अदब साबित हुआ
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 495