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Tufail Chaturvedi
 
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* गुबार दिल से पुराना नहीं निकलता हí *
गुबार दिल से पुराना नहीं निकलता है|
कोई भी सुलह का रस्ता नहीं निकलता है|१|

उठाए फिरते हैं सर पर सियासी लोगों को|
अगरचे, काम किसी का नहीं निकलता है|२|

लड़ाई कीजिये, लेकिन, जरा सलीक़े से|
शरीफ़ लोगों में जूता नहीं निकलता है|३|

तेरे ही वास्ते आँसू बहाये हैं हमने|
सभी का हम पे ये क़र्ज़ा नहीं निकलता है|४|

जो चटनी रोटी पे जी पाओ, तब तो आओ तुम|
कि मेरे खेत से सोना नहीं निकलता है|५|

ये सुन रहा हूँ कि तूने भुला दिया मुझको|
वफ़ा का रंग तो कच्चा नहीं निकलता है|६|
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