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Tufail Chaturvedi
 
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* जिस जगह पत्थर लगे थे, रंग नीला कर दि&# *
जिस जगह पत्थर लगे थे, रंग नीला कर दिया|
अब के रुत ने मेरा बासी ज़िस्म ताज़ा कर दिया|१|

आईने में अपनी सूरत भी न पहिचानी गई|
आँसुओ ने आँख का हर अक़्स धुंधला कर दिया|२|

उस की ख़्वाहिश में तुम्हारा सिर है, तुम को इल्म था|
अपनी मंज़ूरी भी दे दी, तुमने ये क्या कर दिया|३|

उस के वादे के इवज़ दे डाली अपनी ज़िंदगी|
एक सस्ती शय का ऊंचे भाव सौदा कर दिया|४|

कल वो हँसता था मेरी हालत पे, अब हँसता हूँ मैं|
वक़्त ने उस शख़्स का चेहरा भी सेहरा कर दिया|५|

था तो नामुमकिन तेरे बिन मेरी साँसों का सफ़र|
फिर भी मैं ज़िंदा हूँ, मैंने तेरा कहना कर दिया|६|

हम तो समझे थे कि अब अश्क़ों की किश्तें चुक गईं|
रात इक तस्वीर ने फिर से तक़ाज़ा कर दिया|७|
 
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