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Tufail Chaturvedi
 
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* धूप होते हुए बादल नहीं मांगा करते| *
धूप होते हुए बादल नहीं मांगा करते|
हम से पागल, तेरा आँचल, नहीं माँगा करते|१|

हम फ़कीरों को ये गठरी, ये चटाई है बहुत|
हम कभी शाहों से मखमल नहीं माँगा करते|२|

छीन लो, वरना न कुछ होगा निदामत के सिवा|
प्यास के राज में, छागल नहीं माँगा करते|३|

हम बुजुर्गों की रिवायत से जुड़े हैं भाई|
नेकियाँ कर के कभी फल नहीं माँगा करते|४|

देना चाहे तू अगर, दे हमें दीदार की भीख|
और कुछ भी – तेरे पागल नहीं माँगा करते|५|

आज के दौर से उम्मीदेवफ़ा! होश में हो?
यार, अंधों से तो काजल नहीं माँगा करते|६|
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