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Ana Qasmi
 
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* अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस *
अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस 
लब खोले और उसने कहा बस 

तब से हालत ठीक नहीं है 
मीठा मीठा दर्द उठा बस 

सारी बातें खोल के रक्खो
मैं हूं तुम हो और खुदा बस 

तुमने दुख में आंख भिगोई 
मैने कोई शेर कहा बस 

वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके 
मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस 

जाने भी तो बात हटाओ
तुम जीते मैं हार गया बस 

इस सहरा में इतना कर दे 
मीठा चश्मा,पेड़,हवा बस
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