हर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक दाना। इस हाथ में सुमरन है, उस हाथ में पैमाना॥ कुछ तंगियेज़िन्दाँ से दिलतंग नहीं वहशी। फिरता है निगाहों में, वीरना-ही-वीराना॥ ****