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Arzoo Lucknawi
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Biography of Arzoo Lucknawi
--: Shayari by Arzoo Lucknawi :--
Total Shayari of Arzoo Lucknawi : 53
था शौके़दीद ताब-ए-आदाबे-बज़्मेनाज
नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जा
नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब ह
दो घडी़ को दे-दे कोई अपनी आँखों की ज
तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़
रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप स
जो दर्द मिटने-मिटते भी मुझको मिटा
मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़
सरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हू
जिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसí
ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले।
हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम को अंजुमन ë
खुद चले आओ या बुला भेजो।
क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंजì
महमाँनवाज़, वादिये-गु़रबत की ख़ाक
हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दा
जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़
जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक।
जवाब देने के बदले वे शक्ल देखते है
खुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा।
जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं।
दिल का जिस शख़्स के पता पाया।
क्यों उसकी यह दिलजोई दिल जिसका दुè
क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़î
न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मैं माल
नालाँ ख़ुद अपने दिल से हूँ दरबाँ क
इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल स
आ गई मंज़िले-मुराद, बाँगेदरा को भू
पलक झपकी कि मंज़र खत्म था बर्क़े-त
अलअमाँ मेरे ग़मकदे की शाम।
भले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम।
मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे ह
यह मेरी तौबा नतीजा है बुखले-साक़ी
सबब बग़ैर था हर जब्र क़ाबिले इल्जì
साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया त
हर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक द&
हुस्ने-सीरत पर नज़र कर, हुस्ने-सूर
क़रीबेसुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपè
अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्य
आके क़ासिद ने कहा जो, वही अकसर निकल
आफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम
उठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु&
پاس سے اٹھ کے بھی وہ جائیں، روکیں ب
وہ گلی میں بھی نہیں دے گا ٹھہرنے کی
بناوٹ کو چاہت کے سانچے میں ڈھالا
ہاتھ سے کس نے ساغر پٹکا موسم کی بے ک
الفت بھی عجب شے ہے جو درد وہی درماں
دو گھڑی کو دے دے کوئی اپنی آنکھوں ک
Avval-e-shab vo bazm kii raunaq shamaa bhii thii paravaanaa bhii ,
Zamaanaa yaad teraa ai dil-e-naakaam aataa hai,
Kis ne bhiige hue baalo.n se ye jhaTkaa paanii ,
Kis ne bhiige hue baalo’n se ye jhatkaa paanii
Avval-e-shab vo bazm kii raunaq shamaa bhii thii parvaanaa bhii
Total Visit of All Shayari of Arzoo Lucknawi : 15441