सबब बग़ैर था हर जब्र क़ाबिले इल्ज़ाम। बहाना ढूंढ लिया, देके अख्तियार मुझे॥ किया है आग लगाने को बन्द दरवाज़ा। कि होंट सी के बनाया है राज़दार मुझे॥ ****