आ गई मंज़िले-मुराद, बाँगेदरा को भूल जा। ज़ाते-खु़दा में यूँ हो महव, नामे-ख़ुदा को भूल जा॥ सबकी पस्न्द अलग-अलग, सबके जुदा-जुदा मज़ाक़। जिसपै कि मर मिटा कोई, अब उस अदा को भूल जा॥ ****