जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं। सर को दो-दो पहर यह धुनते हैं॥ कै़द में माजरा-ए-तनहाई। आप कहते हैं, आप सुनते हैं॥ झूठे वादों का भी यकीन आ जाये। कुछ वो इन तेवरों से कहते हैं॥ ****