खुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा। कहलवा के औरों से पैग़ाम अपना॥ हविसकार आशिक भी ऐसा है जैसे-- वह बन्दा कि रख ले ख़ुदा नाम अपना॥ ****