जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं। वो कमयाब है जो कमयाब हो न सका॥ बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से। चमन में आके भी काँटा गुलाब हो न सका॥ *****