तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार। हम हैं कि पायेबन्द हरेक इम्तहाँ के हैं॥ हों सर्फ़ तीलियों में क़फ़स के तो ख़ौफ़ है। तिनके जो मेरे उजड़े हुए आशियाँ के हैं॥ ****