था शौके़दीद ताब-ए-आदाबे-बज़्मेनाज़। यानी बचा-बचा के नज़र देखते रहे॥ अहले-क़फ़स का ख़ौफ़ज़दा शौक़ क्या कहूँ? सूएचमन समेट के पर देखते रहे॥ ****