donateplease
newsletter
newsletter
rishta online logo
rosemine
Bazme Adab
Google   Site  
Bookmark and Share 
design_poetry
Share on Facebook
 
Asar Lucknawi
 
Share to Aalmi Urdu Ghar
* तुझको है फिक्रे-तनआसानी 'असर', *
(1)
ताइरे-जाँ! कितने ही गुलशन तेरे मुश्ताक है,
बाजुओं में ताकते - परवाज होना चाहिए।

(2)
तुझको है फिक्रे-तनआसानी 'असर',
जिन्दगी कुर्बानियों का नाम है।
 
(3)
तुम्हारा हुस्न आराइश, तुम्हारी सादगी जेवर,
तुम्हें कोई जरूरत ही नहीं बनने-संवरने की।

(4)
तूफाँ से खेलना अगर इन्सान सीख ले,
मौजों से आप उभरें, किनारे नये- नये।

(5)
तेरी अदायें दिल को लुभायें तो क्या करें,
आंखें न मानें देख ही जायें तो क्या करें।
****
 
Comments


Login

You are Visitor Number : 351