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Fariyad Azer
 
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* यों तो मैं खुद को प्रताड़ित करने स *
गजल----------डाकटर फरियाद 'आज़र'

यों तो मैं खुद को प्रताड़ित करने से विचलित नहीं 
पाप कुछ ऐसे हैं लेकिन जिन का प्रायश्चित नहीं 

मृत्यु से पहले ही मर जाएँगे हम भी देखना 
कौन ऐसा व्यक्ति है जीवन से जो पीड़ित नहीं 

जिंदगी !  सब कष्ट -पगडण्डी  पे भी चलते रहे
तेरे नैनों से कहाँ , कब ,कौन सम्मोहित नहीं ?

कौन सा क्षण है  कि जब मैं ने भुलाया हो तुझे 
कौन  सी है सांस तेरे नाम जो अर्पित नहीं

कौन ऐसा व्यक्ति है पहचानता हो जो मुझे 
कौन ऐसा आदमी है जो मेरा परिचित नहीं 

ये जहाँ क्या हे,असीमित ख्वहिशोँ का अंतरिक्ष
सब अधर  में हे यहाँ कोई भी आधारित नहीं

कर्म  जीवन भर सभी करते हेँ लेकिन सत्य  हे
कर्म सच्चा हे वही जिस में स्वयम का हित नहीँ

 इस जहाँ के सामने होना पडा लज्जित उसे
अपने जीवन मै जो अपने आपसे लज्जित नहीँ 

चार दिन मेँ ही मुझे सदियोँ का  अंदाजा हुआ
चार दिन की ही सही ये जिंदगी सीमित नहीँ
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