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Jigar Moradabadi
 
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* जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने *
हाँ किस को है मयस्सर ये काम कर गुज़रना
इक बाँकपन से जीना इक बाँकपन से मरना

दरिया की ज़िन्दगी पर सदक़े हज़ार जानें
मुझ को नहीं गवारा साहिल की मौत मरना

साहिल के लब से पूछो दरिया के दिल से पूछो
इक मौज-ए-तह-नशीं का मुद्दत के बाद उभरना

जो ज़ीस्त को न समझे जो मौत को न जाने
जीना उन्हीं का जीना मरना उन्हीं का मरना
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