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Jigar Moradabadi
 
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* दुनिया के सितम याद ना अपनी हि वफ़ा  *
दुनिया के सितम याद ना अपनी हि वफ़ा याद 
अब मुझ को नहीं कुछ भी मुहब्बत के सिवा याद 

मैं शिक्वाबलब था मुझे ये भी न रहा याद 
शायद के मेरे भूलनेवाले ने किया याद 

जब कोई हसीं होता है सर्गर्म-ए-नवाज़िश 
उस वक़्त वो कुछ और भी आते हैं सिवा याद 

मुद्दत हुई इक हादसा-ए-इश्क़ को लेकिन 
अब तक है तेरे दिल के धड़कने की सदा याद 

हाँ हाँ तुझे क्या काम मेरे शिद्दत-ए-ग़म से 
हाँ हाँ नहीं मुझ को तेरे दामन की हवा याद 

मैं तर्क-ए-रह-ओ-रस्म-ए-जुनूँ कर ही चुका था 
क्यूँ आ गई ऐसे में तेरी लगज़िश-ए-पा याद 

क्या लुत्फ़ कि मैं अपना पता आप बताऊँ 
कीजे कोई भूली हुई ख़ास अपनी अदा याद 
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