* उस ने कहा ---- "मेरे सामने आओ " *
उस ने कहा ----
"मेरे सामने आओ "
मैं सामने आ गया ---------
उस ने कहा
"तुम्हारी एक तस्वीर उतारनी है"
"उतार लो ''
कुछ देर बाद उस ने तस्वीर मोबाइल पर भेजी .
फिर उस ने कहा---------
"तस्वीर के हर ढके छिपे हिस्से पे अपनी उंगलियाँ टच स्क्रीन पे फिसलने दो ".
उंगलियाँ फिसलती रहीं ....... फिसलती रहीं .......
मैं हैरान था .......और परिशान भी .....
तस्वीर नंगी होती चली गयी ......
मैं जो नहीं था
वह दिखाई दे रहा था
और जो था
वह दिखाई नहीं दे रहा था .
जिस्म के लिबास में लिपटी रूह
विज्ञान के इस चमत्कार को देख
पाकीजगी की चदरिया में लिपटी मुस्कुरा रही थी.
(आज के विज्ञान कौन डहर / डगर ले के जात है ....ओ मोर संगी !?)
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