* मिट्टी माँ - माँ मिट्टी > ख़ुर्शीद ह *
जब जब गेट से
उस जगह को दूर से
देखती हूँ.
सोचती हूँ.....!
वो मिटटी कितनी खुशनसीब है
जो माँ जैसी है
ममता की आँचल से लिपटी है
काश! वो मिटटी होती
और माँ से चिपकी होती
मिट्टी --- माँ
माँ ----मिट्टी
लोरी -मिट्टी
मिट्टी -लोरी
मिट्टी -इब्तदा
मिट्टी इन्तहा
अब हर दिन
उस मिटटी को देखती हूँ
और आँखों में शबनमी बूँदें लिए
आगे बढ़ जाती हूँ ....
कि जिंदगी अब ठहराओ से हाथ मिला कर
आगे नहीं बढ़ती
सोचती हूँ अक्सर
मिट्टी को हरी ओढ़नी पसंद क्यों है ??
और आसमान को नीला रंग ???
(खुर्शीद हयात ).
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