* एक औरत ही आदम की तकदीर थी *
एक औरत ही आदम की तकदीर थी
या हवस की गुफ़ाओं की जागीर थी .
हर कड़ी का बदन खौफ़ में क़ैद था
सच को जकड़े हुये एक जं़जीर थी .
फ़र्ज़ की सूलियों पे मैं खामोश था
चार सू गूंजती मेरी तक़रीर थी .
वक़्त ने म्यूजियम में सजाया मुझे
उसकी दीवारों पर मेरी तहरीर थी .
आइनों के बदन पर दहकते हुये
पत्थरों की विवशता की तस्वीर थी .
एक 'सारा शिगुफ्ता1 थी इक थे 'सर्इद2
जैसे रांझे की आहों मे इक हीर थी .
क्या मुकíर था परछाइयों का 'कंवल
कोर्इ दीवारो-दर थे न तदबीर थी। .
1.कराची की एक शायरा 2. सारा के प्रेमी।
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