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* सावन आया, तुम नहीं आये, नैन बन गये सा *
सावन आया, तुम नहीं आये, नैन बन गये सावन सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
नील गगन के उजले काले मेघों की ये आंख मिचोली
मूक किनारे से गंगा की लहरों की ये पे्रम-ठिठोली
आह! अभी तक अष्कों की रिमझिम से तर है मेरा दामन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
फ़र्ज करे मजबूर मुझे कि ख़्ाुषियों की बारात फिरा दूं
और मुहब्बत तड़प तड़प क़र कहे यार संग प्रीत निभा दूं
दोनों की खींचातानी में टूट न जाये जीवन दरपन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
सूख गर्इ धरती, अंबर पे सावन तिष्नालब भटके है
घाट घाट पर लहर-लहर खुद प्यास लिये सर को पटके है
ऐसे में गर तुम आ जाओ खुष हो जाये सबका तन-मन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
देख कि सरहद से भी अब तक चौराहों पे नैन बिछाये
राह तुम्हारी तका करता हूं गली गली से आस लगाये
आ जाओ मेरी बाहों में हो जाये हर सांस सुहागन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
आ न मिलो मुझसे अब सावन
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