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* हो गये सावन गीत मेरे जख़्मी, घायल *
हो गये सावन गीत मेरे जख़्मी, घायल अरमान
मुझे कहते हैं सब नादान
हंसते हैं सब प्रीत पे तेरे कसते हैं मुझ पे ताने
वक़्त के हाथों आज नुमायष बन गये पे्रम के अफ़साने
ख़्ातरे में है तेरी वफ़ा, मेरे दिल के मेहमान
मुझे कहते हैं सब नादान
तोड़ लिया क्यों ख़्ात-ो-किताबत रूठ गर्इ तुम क्यों सावन
दुष्मन दुनिया, बेबस मैं, सिसके यौवन, सुलगे तन मन
जनम जनम के मीत मेरे मत डोर आस की तान
मुझे कहते हैं सब नादान
प्रीत का दरपन उलझ पड़ा है फजऱ् के पत्थर से इस बार
तू ही बता महबूब मेरे अब कैसे प्रीत करे सिंगार
ज़ख़्मों के जंगल में खो गये ख़्ाुषियों के तूफ़ान
मुझे कहते हैं सब नादान
इष्क खुदा है, पे्रम है र्इष्वर, कहते हैं दुनिया वाले
नफ़रत क्यों, रूसवार्इ क्यों, क्यों मेरे नसीब में हैं नाले
क्यों है गुरेजां कोर्इ बतायें उल्फ़त से इन्सान
मुझे कहते हैं सब नादान
हो गये सावन गीत मेरे ज़ख़्मी घायल अरमान
मुझे कहते हैं सब नादान
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