* ख़्बसूरत लगा चांद कल *
ख़्बसूरत लगा चांद कल
मेने उसको सुनार्इ ग़ज़ल
ख्वाब के झील में ले गर्इ
ख़्बसूरत सी उसकी पहल
शहर में फिर धमाका हुआ
गांव कस्बे गये फिर दहल
खूबसूरत खिलौनों को छू
सारे बच्चे गये कल मचल
डायबेटिज का मत साथ दे
तू सवेरे - सवेरे टहल
सादगी ने किया बेजुबां
क्या बयां आपका है 'कंवल
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