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* रहबरे - क़ौम, रहनुमा तुम हो *
रहबरे - क़ौम, रहनुमा तुम हो
ना उमीदों का आसरा तुम हो
मैं सियासत की बेर्इमान गली
और रिश्वत की अप्सरा तुम हो
गालियों में तलाशता हूँ शहद
राजनीति का ज़ायक़ा तुम हो
चौक पर की है, बहस चौका में
सेक्युलर मैं हूँ, भाजपा तुम हो
फ़स्ले - बेरोजगारी हंै दोनों
मैं हूँ स्कूल, शिक्षिका तुम हो
मुझको क्या इससे फर्क पड़ने का
मैंने माना कि दूसरा तुम हो
क़ुरबतें सीढि़यों सेे उतरेंगी
लोग समझेंगे फासला तुम हो
आवरण मैं उदासियों का 'कंवल
न थमे जो, वो क़हक़हा तुम हो
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