* जि़ंदगी इन दिनों उदास कहा *
जि़ंदगी इन दिनों उदास कहा
तुझसे मिलने की दिल में आस कहां
मौसमों में गुलों की बास कहा
मुफि़लसी मेरी ख़्ाुश लिबास कहा
लान से फूल पतितया ओझल
तेरी यादों की नर्म घास कहा
रतजगा फूल तारे चांद हवा
नींद बिस्तर के आस पास कहां
मंदिरों में निराश उम्मीदेें
देवियां फिर भी हैं उदास कहां
ताज़ग़ी अब कहां तेरे लब पर
मेरी आंखों में वो प्यास कहां
ख़्ाुशबुओं का पता तो आसां है
पर हवा है 'कंवल के पास कहां
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