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Ramesh Kanwal
 
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* जल गये याद के बामो-दर धूप में *
जल गये याद के बामो-दर धूप में                                  
पर सलामत है दिल का खंडर धूप में                                                                                                                                           

हो न जाये कहीं बे असर धूप में                               
यूं परेशां है रंगे-सहर धूप में                                        .                                                                     

बेख़बर था समुंदर मगर मछलियां                             
ऐश करती रहीं रेत पर धूप में                                  .                                                              

फूस की खोलियों में है दहशत बपा                                   
ढूढंता है अमां1 इक शरर2 धूप में                                                                  .   

सुबह से एक साया भटकता रहा                                      
इक  दरीचा रहा मुंतज़र3 धूप मं                                                            
     
मेरे अहसास4 की तितलियां खो गर्इं                   
रफ़्ता रफ़्ता 'कंवल' मोतबर5 धूप में।                                                                             

 
 1.सुरक्षा-शांति-शरण, 2. चिंगारी 3. प्रतीक्षारत-आशानिवत  4. चेतना 5. विश्वस्त ।                                       




 
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