* सहमी सहमी हुर्इ तस्वीर लिये बैठे ì *
सहमी सहमी हुर्इ तस्वीर लिये बैठे हैं
आइने खौफ़ की जागीर लिये बैठे हैं .
हसरते-जु़ल्फ़े-गिरहगीर लिये बैठे हैं
नुक़्रर्इ1 यादों की जं़जीर लिये बैठे हैं .
गर्दिशों का है मुक़íर पे कड़ा पहरा मगर
हर क़दम पर नर्इ तदबीर2 लिये बैठे हैंं .
अपने हर ख़्वाब की ताबीर3 ख़लिश है लोगो
अपने हर ख़्वाब की ताबीर लिये बैठे हंै .
तुम वहां बैठे हो क्यों मिलने का वादा करके
हम यहां ख़्ाुशियों की तनवीर4 लिये बैठे हैं .
अब भी आती है हर इक ख़्ात से वफ़ा की ख़्ाुशबू
हम तेरी शोख़ी-ए-तहरीर5 लिये बैठे हैं .
हमने भी रक्खा है इक ताजमहल कमरे में
हम भी एक जज़्ब-ए-तामीर6 लिये बैठे हैं .
वस्ले-महबूब7 की बात उठी तो याद आया 'कंवल
हम तो फूटी हुर्इ तक़दीर लिये बैठे हैं .
1. चाँदी सदृष 2. प्रयत्न 3. स्वप्न फल 4. रौषनी, चमक
5. लिखावट की चपलता, मादकता 6. सृजन भाव 7. प्रियतम से मिलन।
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