* जब भी मैं उससे मिलने की लेकर दुआ गय *
जब भी मैं उससे मिलने की लेकर दुआ गया
वह मेरा मुंतजि़र1 था लबे-बाम आ गया
जब तक था आसमान पे रहबर2 की तरह था
टूटा तो फिर ख़्ाला3 में बिखरता चला गया
बेज़ार4 क्यों न हो कोर्इ दुनिया के दर्द से
क्या कोर्इ ग़म के दश्त5 में ख़्ाुशियां खिला गया
दामन तेरे़ ख़्ायाल ने छोड़ा न एक पल
घबरा के जि़ंदगी से मैं दामन छुड़ा गया
गुंचा दहन तो और भी शादाब6 हो गये
तुझको रूला के कौन हसीं गुल खिला गया।
सूरत तेरी अजीज7 थी जाड़े की धूप सी
सूरज था तू भी जल्द ही पच्छम दिशा गया
पिछले पहर किसी की वो आवाजे-पा8 'कंवल
मंदिर मे दिल के कौन ये हलचल मचा गया
1. प्रतीक्षारत, आशानिवत 2. मार्ग दर्शक 3. रिक्त स्थान, अंतरिक्ष 4. विकल-दुखी
5. अरण्य-वन 6. हरा-भरा 7. प्रिय स्वजन, 8. पदचाप।
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