* जब भी मिलता है कोर्इ शख़्स अकेला म *
जब भी मिलता है कोर्इ शख़्स अकेला मुझको
ज़र्रा-ज़र्रा1 नजर आता है सुनहरा मुझको
तुम उजालों में न दे पाये कभी साथ मेरा
रास आया न कभी आह अंधेरा मुझको
़फुरकते-यार2 में आया है वो सैलाबे-हवस3
आइना आइना हैरत से है तकता मुझको
संग बख़्शी है जिसे शक्ले-हसीं4 आज़र5 ने
बुत परस्ती6 का सबक़7 हंस के है देता मुझको
हैफ़ सद हैफ़8 जो ख़्ाुशियों का समुंदर था कभी
आज वह शख़्स लगा दर्द का सहरा मुझको
हो न हो प्यार के जज़्बे का असर हो ये 'कंवल
आज वह बुत नजर आता है ख़्ाुदा सा मुझको
1. कण-कण 2. सखा का वियोग 3. तृप्णा-लिप्सा-लोभ का बाढ़
4. सुन्दर मुखड़ा 5. एक संगतराश 6. मूर्ति पूजा 7. शिक्षा 8. पश्चाताप।
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